Sunday, June 27, 2010
अविश्वसनीय विश्वास
लुटेरा शब्द अब तक अपराध और असामाजिक तत्वों के लिए प्रयोग किया जाता था, मगर अब यह साहित्य जगत में भी प्रासंगिक हो गया है। कवि सम्मेलन व मुशायरों मंे विश्वास का नाम काफी लोकप्रिय है। मुशायरा प्रेमी कुमार विश्वास को अपना आदर्श मानते हैं, मगर सच यह है कि कुमार विश्वास मंच के सबसे अविश्वसनीय मोहरे हैं। मै पिछले 35 सालांे से कवि सम्मेलन व मुशायरा आयोजित कर रहा हूं, मगर कुमार विश्वास जैसा प्रोफेशनल मोल-तोल करने वाला अविश्वसनीय रचनाकार मुझे कभी नहीं मिला। गत शनिवार की रात कुमार विश्वास ने सिद्धार्थनगर मंे आयोजित कवि सम्मेलन मुशायरे में इलेक्टानिक मीडिया से कैमरे बंद करने के लिए घुडकी धमकी दी। लोग समझ नहीं पाये कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं, मगर उन्हंे करीब से जानने की वजह से मुझे हालात मालूम हैं। दरअसल कुमार विश्वास के पास मात्र दो-तीन रचनाएं हैं, उन्हीं के बल पर उनकी रोजी रोटी चल रही है। वह नहीं चाहते हैं कि उनकी रचनाएं इलेक्टानिक मीडिया प्रसारित करे। क्योंकि इससे उनकी एक ही गजल बार-बार पढने की पोल खुल जाती है। इससे उनका बाजार भाव घटने का खतरा सामने रहता है। कुछ लतीफे और किस्सागोई के अलावा इस अविश्वसनीय विश्वास के पास और कुछ नहीं है। कई लोग तो यहां तक कहते हैं कि उनकी एक- दो गजलें उनकी खुद की नहीं। ऐसे रचनाकारों के बल पर साहित्य समाज का दर्पण नहीं बन सकता। इस लिए आप सब हो जायें सावधान और विश्वास पर विश्वास करने से पहले उन्हंे जांच लें। परख लें और वादा लें ले कि वह अपनी रचना का प्रसारण करने से मीडियाकर्मियों को रोकेंगे नहीं।
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