गजल
उन्हें हैरत,मेरे घर में टंगी पगडी पुरानी है,
मेरी गैरत है वह,मेरे बुजुर्गों की निशानी है।
पुरानी औ नई,तहजीब में बस,फर्क इतना है,
तेरी आंखों में शोले हैं,मेरी आंखों में पानी है।
अगरचे कत्ल करना है,सलीके से उठा खंजर,
जमाने को खबर जाए कि दुश्मन खानदानी है।
सलीका झोपडों से पूछिए मेहमां नवाजी का,
मुसाफिर को भला शहरो में देता कौन पानी है।
हमारे दिल में डूबोगे तो मोती ले के निकलोंगे,
समनदर के किनारे रेत सीपी और पानी है।