Friday, September 17, 2010

हर किसान की बेटी आज कल रुआंसी है

गजल
मालियों की नजरों में, बात बस जरा सी है,
पर कली समझती है, हर शलभ विलासी है।
गैर के गलीचे में झांकना बहुत मुश्किल,
कौन अपने दामन का, ले सका तलाशी है।
रुढियों की मंडी में, मोल सुनके सपनों का,
हर किसान की बेटी, आज कल रुआंसी हैं।
राजनीति के मठ में देव कैसे-कैसे हैं,
चेहरा राम जैसा है, चाल मंथरा सी है।

5 comments:

  1. रुढियों की मंडी में, मोल सुनके सपनों का,
    हर किसान की बेटी, आज कल रुआंसी हैं।

    बहुत सुंदर पंक्तियां हैं...
    http://veenakesur.blogspot.com/

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  2. बहुत सुंदर पंक्तियां हैं|

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  3. रुढियों की मंडी में, मोल सुनके सपनों का,
    हर किसान की बेटी, आज कल रुआंसी हैं।

    बहुत सुंदर - सच्चे मन के उदगार

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  4. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  5. आदरणीय महोदय,
    आपने मेरी हौसला अफजाई की, शुक्रिया। ब्‍लाग की दुनियां में जल्‍द ही आया हूं। अभी अन्‍य ब्‍लागों से जुडने के लिए सीख रहा हूं। कृपया सुझाव देते रहें। मेहरबानी होगी।

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