जहां पर भी जालिम की यलगार होगी,
सदाकत भरी मेरी ललकार होगी।
मेरे साथ में मेरा किरदार होगा,
न नेजा, न खंजर न तलवार होगी।
परेशान वह जीत कर भी रहेगा,
मै खुश ही रहूंगा, भले हार होगी।
सियासम की दुनिया है धोखे की मूरत,
ये किसने कहा था मिलनसार होगी।
करो कौम को अपनी बेदार वरना,
न पगडी रहेगी न दस्तार होगी।
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ReplyDeleteaapki kaun si kaum hain??????
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