Wednesday, September 22, 2010

करो कौम को अपनी बेदार वरना

जहां पर भी जालिम की यलगार होगी,
सदाकत भरी मेरी ललकार होगी।

मेरे साथ में मेरा किरदार होगा,
न नेजा, न खंजर न तलवार होगी।

परेशान वह जीत कर भी रहेगा,
मै खुश ही रहूंगा, भले हार होगी।

सियासम की दुनिया है धोखे की मूरत,
ये किसने कहा था मिलनसार होगी।

करो कौम को अपनी बेदार वरना,
न पगडी रहेगी न दस्‍तार होगी।

2 comments:

  1. अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

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