Sunday, April 25, 2010

इस हमाम में सभी नंगे

इंडियन प्रीमियर ली यानी आईपीएल का तमाशा खत्‍म हुआ। इंडियन प्रीमियर लीग से उंडियन पैसा लीग तक का सफर तय करने के बाद यह तमाश उंडियन पार्न लीग बन गया है। लीग की शुरूआत के बाद से ही इस तमाशे को लेकर कई तमाशे हुए, जिसमें तमाम किस्‍म के जमूरे और मदारी सामने आए। मिनिस्‍टर शशि थरूर, शरद पवार, कमिश्‍नर ललित मोदी के तमाम जमूरों की डुगडुगियां बजीं। इस खेल में थरूर वीरगति पा गये, मोदी को अभी निपटाया जाना बाकी है। लेकिन हम बात थरूर और मोदी की ही क्‍यों करें। मुल्‍क में खेल और खिलाडि1यों का सत्‍यानाश करना सियासी शगल बन गया है। आठ ओलि‍म्पक गोल्‍ड लाने वाली हमारी हाकी कहां है। उसे बरबाद करने वाले कौन हैं, और आज वह किसा मुकाम पर हैं,यह कौ‍न नहीं जानता है। कामनवेल्‍थ बैडमिंटन चैम्पियन सैयद मोदी का सरेआम कत्‍ल हुआ, कातिल आजाद घूम रहे हैं। दर्जनो ओलम्पियन आज रिक्‍शा चला कर अथवा चाट की दुकान लगाा कर अपना पेट पाल रहे हैं। उत्‍त्‍र प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हजारों करोड1 पार्क और मुजस्सिमों पर खर्च हो रहे है1, मगर इसी सूबे के झांसी शहर के मेजर ध्‍यानचंद के नाम पर कोई पार्क नहीं बनाया गया। नेहरू इंदिरा के नाम पर उपनगरों, सडकोंश्, पुलों और तमाम परियोजनाओं की भरमार है, मगर विश्‍व शतरंज चैम्पियन वी आनन्‍द, आल इंग्‍लैंड बैडंमिंटन चैम्पियन प्रकाशपादुकोण को कितना मान दिया गया़। दरअसल इस मुल्‍क में सियासत करने वालों की रगों में ईगों का जहर कुछ इस कदर भर गया है कि उनकी नजर में खेल और खिलाड़ी हिकारत की चीज़ बन गये हैं। इसलिए सिर्फ थरूर और मोदी को कोसने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए खेल के सिस्‍टम से जुड़े हर जिम्‍मेदार को कटघरे में खडा करना पड़ेगा। इसलिए कि इस सिस्‍टम के हम्‍माम में सभी नंगे हैं।

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